किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि कितनी अच्छी है | यह उस देश में स्थित छोटे व् मध्यम उद्योगों की संख्या व हालात पर निर्भर करती है | हम अक्सर ही अमेरिका और चीन जैसे विकसित देशो का बात-बात में उदाहरण देते रहते है, किन्तु हम यह भूल जाते है, कि इन विकसित देशो में छोटे व मध्यम उद्योग कितनी संख्या में मौजूद है | चीन में तो हर घर में किसी न किसी उत्पाद का निर्माण किया जाता है | किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उस देश के सिर्फ बड़े उद्योगों और बहुराष्ट्रीय संगठनों पर निर्भर होने के बजाए वहां के मध्यम, लघु और कुटीर उद्योगों पर भी निर्भर करती है | विकासशील देश भारत में तो यह मध्यम उद्योग ऑक्सीजन की तरह कार्य करते है | क्योकि कृषि और सेवा क्षेत्र संबंधित उद्योगो की हिस्सेदारी भारत की अर्थव्यवस्था में काफी बड़ी है |

कृषि के क्षेत्र में खाद्य उत्पादों का निर्माण होता है, तो वही सर्विस सेक्टर में जरूरी सेवाओं का संचालन किया जाता है | इस तरह के ज्यादातर व्यवसाय लघु एवं मध्यम उद्योग में आते है | इसके अलावा विनिर्माण (मैनुफैक्चरिंग) उद्योग भी छोटे व मध्यम उद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है | इस तरह के सभी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को एमएसएमई कहा जाता है | भारत में एमएसएमई को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है | इन उद्योगों से जुड़ने वाले लोगो की संख्या लाखो में है, तथा तक़रीबन 12 करोड़ लोग इन उद्योगों में काम कर रहे है |
एमएसएमई देश की अर्थवयवस्था में 29 फीसदी का योगदान दे रहा है, जिस वजह से सरकार इस सेक्टर की और अधिक फोकस कर रही है | इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एमएसएमई कारोबारियों को कई तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे है | अगर अभी तक आप एमएसएमई के बारे में नहीं जानते है, तो इस लेख में आपको एमएसएमई क्या होता है तथा MSME की परिभाषा, MSME के प्रकार और MSME के बारे में जानकारी दी जा रही है |
एमएसएमई क्या होता है (MSME)
एमएसएमई का हिंदी अर्थ है, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम | इसे अंग्रेजी में MSME ‘Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises’ कहते है | भारत सरकार द्वारा आरम्भ की गई एमएसएमई एक ऐसी योजना है, जिसमे उद्योग जगत से जुड़े लोगो को कई तरह के लाभ प्रदान किए जाते है | एमएसएमई के अंतर्गत दो तरह के उद्योग शामिल है | इसमें पहला उद्योग सर्विस सेक्टर है, और दूसरा विनिनिर्माण उद्योग यानि मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का है |
एमएसएमई के अंतर्गत सर्विस सेक्टर (MSME Service Sector)
एमएसएमई में सर्विस सेक्टर वह सेक्टर है, जो ग्राहकों को सेवाए प्रदान करती है | सरल भाषा में जब किसी व्यक्ति का कोई काम किसी कंपनी, संस्था या फैक्ट्री द्वारा किया जाता है, तो वह सर्विस सेक्टर के अंतर्गत आता है| इसमें ट्रेवल एजेंसी, आईटी कंपनी चलाने से लेकर ऑटो चलाने तक और एयरलाइन का संचालन भी शामिल है| यह सर्विस सेक्टर काफी विशाल है | एमएसएमई के अंतर्गत उन सर्विस उद्योगों को रखा जाता है, जिसका वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रूपए हो (सरकार ने जून 2020 में एमएसएमई की नई परिभाषा और उद्योग की सीमा निर्धारित की है) |
एमएसएमई के तहत मैनुफैक्चरिंग उद्योग (MSME Manufacturing Industries)
इसके नाम से ही आप समझ गए होंगे कि इसमें किसी चीज का निर्माण किया जाता है | यह उद्योग सेक्टर निर्माण से ही संबंध रखता है | इन उद्योग के निर्माण में सुई से लेकर हवाई जहाज तक शामिल है | किन्तु एमएसएमई में केवल उन्ही उद्योगों को मैनुफैक्चरिंग इंटरप्राइजेज कहा जाता है, जिनका वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ के आसपास हो | इसमें भी सरकार द्वारा एमएसएमई की नई परिभाषा को जून 2020 के अनुसार नई उद्योग सीमा रखी गई है |
जिसके अनुसार देश में मौजूद सभी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग MSME कहे जाते है | सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम उद्यम छोटी इकाइयां है, जो निवेश के आकार को संदर्भ में परिभाषित करती है | यह उद्योग रोजगार निर्यात और अर्थव्यवस्था के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है |
एमएसएमई बड़ी संख्या में अकुशल और अर्द्ध कुशल लोगो को रोजगार दे रहा है | यह निर्यात में योगदान के साथ ही विनिर्माण के क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने, मूल सामान, कच्चे माल के तैयार भागो व घटको की आपूर्ति करने के साथ ही बड़े उद्योगों को समर्थन प्रदान कर रहा है |
एमएसएमई के बारे में जानकारी (MSME Information)
भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग एमएसएमई सेक्टर के अंतर्गत आते है | उद्योग मंत्रालय देश के उद्योगों को बढ़ावा देने और उन्हें आर्थिक रूप से सहायता देने के लिए नियम बनाती है | किसी भी देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में उस देश के युवाओ और उद्यमियों की अहम् भूमिका होती है | देश के छोटे- बड़े व्यापारियों और उनके संगठन में किसी तरह की समस्या उत्पन्न न हो, इसलिए उन्हें एमएसएमई पंजीकरण की सुविधा प्रदान की गई है |
एमएसएमई बड़ी संख्या में देश के बेरोजगार लोगो को रोजगार प्रदान कर रही है, जिससे भारत देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है | भारत में स्थित सभी स्तर के उद्योग निर्माण और निर्यात के क्षेत्र रॉ मटेरियल को तैयार करने के लिए बुनियादी चीजों की आपूर्ति कर बड़े उद्योगों के संचालन में सहायता प्रदान की जाती है | इसके अलावा एमएसएमई अधिनियम, 2006 के तहत पंजीकरण कंपनियों को उच्च शिखर तक पहुंचने में सब्सिडी की भी सुविधा देती है |
एमएसएमई की परिभाषा (MSME Definition)
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में 13 मई 2020 को MSME की पुरानी परिभाषा में संशोधन कर नई परिभाषा को परिभाषित किया गया है | किन्तु आपको बता दे कि एमएसएमई को परिभाषित करने के लिए एकमात्र पैरामीटर निवेश नहीं है | देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई में संयंत्र और मशीनरी निवेश के साथ ही वार्षिक कारोबार को भी इसमें अतिरिक्त सिद्धांत के रूप में शामिल किया है |
एमएसएमई की नई परिभाषा में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम का संक्षिप्त वर्णन ही MSME है | एमएसएमई दो तरह के होते है | पहला उत्पाद करने वाली इकाई और दूसरा सर्विस इकाई | यह विशेष रूप से सेवाए प्रदान करने का कार्य करती है | हाल ही में केंद्र सरकार ने MSME की परिभाषा में बदलाव किए है | इस नए बदलाव में एमएसएमई के उद्योगों को तीन श्रेणी में बांटा गया है |
एमएसएमई के प्रकार (MSME Types)
एमएसएमई के तहत तीन प्रकार के उद्योग आते है, जिसमे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग शामिल है| जिनकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार है:-
- सूक्ष्म उद्योग :- भारत सरकार द्वारा जारी नए नियम के अनुसार सूक्ष्म उद्योगों में उन उद्योगों को शामिल किया जाएगा | जिसमे उद्योगों का कुल निवेश 1 करोड़ रूपए और वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रूपए होना चाहिए | यह नियम मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों ही तरह के क्षेत्र वाले उद्यमो में लागू होता है |
- लघु उद्योग :- नए नियम के अनुसार लघु उद्योग में उन्हें शामिल किया जाएगा| जिन उद्योगों का कुल निवेश 10 करोड़ रूपए और वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रूपए हो| यह नियम मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों ही सेक्टर वाले उद्यमो के लिए लागु है |
- मध्यम उद्योग :- MSME के नए नियम में मध्यम उद्योग में उन्हें शामिल किया जाएगा, जिन उद्योगों का कुल निवेश 20 करोड़ रूपए और वार्षिक कारोबार 100 करोड़ रूपए से कम होगा| इसमें विनिनिर्माण की निवेश सीमा 5 से 10 करोड़ रूपए और सेवा उद्यम की निवेश सीमा 100 करोड़ रूपए से कम होनी चाहिए |
एमएसएमई के लिए सरकार द्वारा जारी योजनाए (MSME Schemes Issued by the Government)
एमएसएमई के लिए सरकार द्वारा जिन योजनाओ का आरम्भ किया गया है, वह इस प्रकार है :-
- उद्योग आधार ज्ञापन योजना :– इस योजना के तहत सरकार एमएसएमई उद्यमो को क्रेडिट के साथ सरकारी सब्सिडी पर कम समय में ऋण मिल जाएगा |
- महिला उद्यमिता :– इस योजना में उन महिलाओ को प्रोत्साहित किया जाएगा, जो अपना व्यवसाय शुरू कर आगे बढ़ना चाहती है| सरकार महिलाओ को अपना व्यवसाय शुरू करने और बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए परामर्श, प्रशिक्षण के साथ ही वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी |
- जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट :– इस योजना के तहत सरकार यह सुनिश्चित करेगी, की MSME द्वारा उत्पादित सामान पर एक निश्चित मानक का पालन किया जाए| इन्हे ZED के रूप में भी जानते है | यह योजना में MSME के जरिये निर्यात किए गए सामान पर छूट और रियायत का आनंद लेने में सहायता करेगी |
- गुणवत्ता प्रबंधन मानक व प्रौद्योगिकी :– इस योजना में एमएसएमई द्वारा निर्मित चीजों की गुणवत्ता की चेतना को आकर्षित करने का कार्य किया जाता है| यह बेहतर उत्पाद को सुनिश्चित करने और विभिन्न प्रतिष्ठानों के मध्य प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना का कार्य करेगा |
- शिकायत निगरानी प्रणाली :– इस योजना का आरम्भ व्यवसाय और एमएसएमई उद्यमियों द्वारा किए गए शिकायतों और सुझावों की निगरानी का कार्य करने के लिए किया गया है |
- क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी :– इस योजना में तहत पंजीकृत एमएसएमई उद्यमी पुरानी मशीनरी को बदलने के साथ ही अपने व्यवसाय में नई तकनीक को अपग्रेड करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी| इस योजना का लाभ लेने के लिए एमएसएमई को डायरेक्ट बैंक से संपर्क करना होता है |